मेरी पावन शिव काशी
मेरी पावन शिव काशी
गायेंगे हम दोनों जमकर,वरुणा-अस्सी के संगम;
नाचेंगे हम झूम-झूम कर, बड़े प्रेम से नित हरदम;
हाथ मिलाकर अंक में भरकर, मुस्कएँगे रात-दिवस;
तड़प रहा है भावुक मन यह, देखन को पावन काशी।
आयोजन होगा निश्चित ही,बनना है काशीवासी;
रूप बनेगा प्रेमपरायण,भक्तिभावमय आवासी;
पावन निर्मल साथ रहेगा, गंग धार होगी उर में;
सहज भावमय हृदय मिलन की, होगी अनुपम शिव काशी।
Muskan khan
09-Jan-2023 06:07 PM
OSm
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Sushi saxena
08-Jan-2023 08:19 PM
👌👌
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